Jo Hoon to Kya Hun Mein.

Isi Talash-o-Tajassus Mein Kho Gaya Hun Mein,
Jo Mein Nahin Hoon to Kyun Hoon, Jo Hoon to Kya Hun Mein.

बात करनी मुझे मुश्किल कभी

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी
जैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी

ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्र-ओ-क़रार
बेक़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी

चश्म-ए-क़ातिल मेरी दुश्मन थी हमेशा लेकिन
जैसे अब हो गई क़ातिल कभी ऐसी तो न थी

उन की आँखों ने ख़ुदा जाने किया क्या जादू
के तबीयत मेरी माइल कभी ऐसी तो न थी

अक्स-ए-रुख़-ए-यार ने किस से है तुझे चमकाया
ताब तुझ में माह-ए-कामिल कभी ऐसी तो न थी

क्या सबब तू जो बिगड़ता है "ज़फ़र" से हर बार
ख़ू तेरी हूर-ए-शमाइल कभी ऐसी तो न थी

इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये

इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये
आपको चेहरे से भी बीमार होना चाहिये

आप दरिया हैं तो फिर इस वक्त हम खतरे में हैं
आप कश्ती हैं तो हमको पार होना चाहिये

ऐरे गैरे लोग भी पढ़ने लगे हैं इन दिनों
आपको औरत नहीं अखबार होना चाहिये

जिंदगी कब तलक दर दर फिरायेगी हमें
टूटा फूटा ही सही घर बार होना चाहिये

अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दें मुझे
इश्क के हिस्से में भी इतवार होना चाहिये

तुम अपनी हो, जग अपना है

तुम अपनी हो, जग अपना है
किसका किस पर अधिकार प्रिये
फिर दुविधा का क्या काम यहाँ
इस पार या कि उस पार प्रिये ।

देखो वियोग की शिशिर रात
आँसू का हिमजल छोड़ चली
ज्योत्स्ना की वह ठण्डी उसाँस
दिन का रक्तांचल छोड़ चली ।

चलना है सबको छोड़ यहाँ
अपने सुख-दुख का भार प्रिये,
करना है कर लो आज उसे
कल पर किसका अधिकार प्रिये ।

है आज शीत से झुलस रहे
ये कोमल अरुण कपोल प्रिये
अभिलाषा की मादकता से
कर लो निज छवि का मोल प्रिये ।

इस लेन-देन की दुनिया में
निज को देकर सुख को ले लो,
तुम एक खिलौना बनो स्वयं
फिर जी भर कर सुख से खेलो ।

पल-भर जीवन, फिर सूनापन
पल-भर तो लो हँस-बोल प्रिये
कर लो निज प्यासे अधरों से
प्यासे अधरों का मोल प्रिये ।

सिहरा तन, सिहरा व्याकुल मन,
सिहरा मानस का गान प्रिये
मेरे अस्थिर जग को दे दो
तुम प्राणों का वरदान प्रिये ।

भर-भरकर सूनी निःश्वासें
देखो, सिहरा-सा आज पवन
है ढूँढ़ रहा अविकल गति से
मधु से पूरित मधुमय मधुवन ।

यौवन की इस मधुशाला में
है प्यासों का ही स्थान प्रिये
फिर किसका भय? उन्मत्त बनो
है प्यास यहाँ वरदान प्रिये ।

देखो प्रकाश की रेखा ने
वह तम में किया प्रवेश प्रिये
तुम एक किरण बन, दे जाओ
नव-आशा का सन्देश प्रिये ।

अनिमेष दृगों से देख रहा
हूँ आज तुम्हारी राह प्रिये
है विकल साधना उमड़ पड़ी
होंठों पर बन कर चाह प्रिये ।

मिटनेवाला है सिसक रहा
उसकी ममता है शेष प्रिये
निज में लय कर उसको दे दो
तुम जीवन का सन्देश प्रिये ।

आराम करो !

एक मित्र मिले, बोले, "लाला, तुम किस चक्की का खाते हो?
इस डेढ़ छँटाक के राशन में भी तोंद बढ़ाए जाते हो।
क्या रक्खा है माँस बढ़ाने में, मनहूस, अक्ल से काम करो।
संक्रान्ति-काल की बेला है, मर मिटो, जगत में नाम करो।"
हम बोले, "रहने दो लेक्चर, पुरुषों को मत बदनाम करो।
इस दौड़-धूप में क्या रक्खा, आराम करो, आराम करो।

आराम ज़िन्दगी की कुंजी, इससे न तपेदिक होती है।
आराम सुधा की एक बूंद, तन का दुबलापन खोती है।
आराम शब्द में 'राम' छिपा जो भव-बंधन को खोता है।
आराम शब्द का ज्ञाता तो विरला ही योगी होता है।
इसलिए तुम्हें समझाता हूँ, मेरे अनुभव से काम करो।
ये जीवन, यौवन क्षणभंगुर, आराम करो, आराम करो।

यदि करना ही कुछ पड़ जाए तो अधिक न तुम उत्पात करो।
अपने घर में बैठे-बैठे बस लंबी-लंबी बात करो।
करने-धरने में क्या रक्खा जो रक्खा बात बनाने में।
जो ओठ हिलाने में रस है, वह कभी न हाथ हिलाने में।
तुम मुझसे पूछो बतलाऊँ -- है मज़ा मूर्ख कहलाने में।
जीवन-जागृति में क्या रक्खा जो रक्खा है सो जाने में।

मैं यही सोचकर पास अक्ल के, कम ही जाया करता हूँ।
जो बुद्धिमान जन होते हैं, उनसे कतराया करता हूँ।
दीए जलने के पहले ही घर में आ जाया करता हूँ।
जो मिलता है, खा लेता हूँ, चुपके सो जाया करता हूँ।
मेरी गीता में लिखा हुआ -- सच्चे योगी जो होते हैं,
वे कम-से-कम बारह घंटे तो बेफ़िक्री से सोते हैं।

अदवायन खिंची खाट में जो पड़ते ही आनंद आता है।
वह सात स्वर्ग, अपवर्ग, मोक्ष से भी ऊँचा उठ जाता है।
जब 'सुख की नींद' कढ़ा तकिया, इस सर के नीचे आता है,
तो सच कहता हूँ इस सर में, इंजन जैसा लग जाता है।
मैं मेल ट्रेन हो जाता हूँ, बुद्धि भी फक-फक करती है।
भावों का रश हो जाता है, कविता सब उमड़ी पड़ती है।

मैं औरों की तो नहीं, बात पहले अपनी ही लेता हूँ।
मैं पड़ा खाट पर बूटों को ऊँटों की उपमा देता हूँ।
मैं खटरागी हूँ मुझको तो खटिया में गीत फूटते हैं।
छत की कड़ियाँ गिनते-गिनते छंदों के बंध टूटते हैं।
मैं इसीलिए तो कहता हूँ मेरे अनुभव से काम करो।
यह खाट बिछा लो आँगन में, लेटो, बैठो, आराम करो।

us kii jaam-e-jam aa.Nkhe.n shiisha-e-badan meraa

us kii jaam-e-jam aa.Nkhe.n shiisha-e-badan meraa
us kii band muTThii me.n saaraa baa.Nkpan meraa

aao aaj ham dono.n apanaa apanaa ghar chun le.n
tum tabaah-e-dil le lo Khittaa-e-badan meraa

mai.n ne apane chehare pe sab hunar sajaaye the
faash kar gayaa mujh ko saadaa pairahan meraa

[faash = reveal; pairahan = dress]

dil bhii kho gayaa shaayad shahar ke suraabo.n me.n
ab merii tarah se hai dard bevatan meraa

[suraab = mirage]

ek dasht-e-Khaamoshii ab hmeraa muqaddar hai
yaad besadaa terii zaKhm bechaman meraa

[dasht-e-Khaamoshii = silent wilderness]

roz apanii aa.Nkho.n ke Khvaab Khuun karataa huu.N
haaye kin Ganiimo.n se aa pa.Daa hai ran meraa

[Ganiim = enemy; ran = fight]

maGrabii havaa ne phir ye sandeshaa bhejaa hai
muntazir tumhaaraa hai Khushbuo.n kaa ban meraa

[maGrabii = western; muntazir = waiting]

तेरे इश्क़ में

तेरे इश्क़ में, हाए तेरे इश्क़ में
राख से रूखी कोयले से काली
रात काटते ना हिजरां वाली
तेरे इश्क़ में, हाए तेरे इश्क़ में

तेरी जुस्तजु करते रहे मरते रहे
तेरे इश्क़ में
तेरे रूबरू बैठे हुए मरते रहे
तेरे इश्क़ में
तेरे रूबरू तेरी जुस्तजु
तेरे इश्क़ में, हाए तेरे इश्क़ में
बादल धुने मौसम बुने सदिया गिनी लम्हे चुने
लम्हे चुने मौसम बुने
कुछ गर्म थे कुछ गुनगुने
तेरे इश्क़ में
बादल धुँए
मौसम बुने
तेरे इश्क़ में
तेरे इश्क़ में, हाए हाए
तेरे इश्क़ में

तेरे इश्क़ में तनहाईयाँ, तनहाईयाँ तेरे इश्क़ में
हमने बहुत बेहलाइयाँ, तनहाईयाँ
तेरे इश्क़ में
रो से कभी मनवायना
तनहाईयाँ तेरे इश्क़ में
मुझे टोह कर कोई दिन गया
मुझे छेड कर कोई शब गयी
मैने रख ली सारी आहटें
कब आई थी शब कब गयी
तेरे इश्क़ में कब दिन गया शब कब गयी
तेरे इश्क़ में
तेरे इश्क़ में हाए हाए हाए
तेरे इश्क़ में

राख से रूखी कोएल से काली
रात कटे ना हिजरां वाली
दिल सोफ़ ये था हम चल दिए,जहाँ ले चला
तेरे इश्क़ में
हम चल दिए
तेरे इश्क़ में
हाए तेरे इश्क़ में
मैं आसमान मैं ही ज़मीन
गीली ज़मीन सीलि ज़मीन
जब लब जले पी ली ज़मीन
गीली ज़मीन तेरे इश्क़ में
हाए तेरे इश्क़ में

Tere ishq mein, haye tere ishq mein
Rakh se rukhi koyle se kali
Raat katte na hijraan wali
Tere ishq mein, haye tere ishq mein

Teri justaju karte rahe marte rahe
Tere ishq mein
Tere roobaroo baithe hue marte rahe
Tere ishq mein
Tere roobaroo teri justaju
Tere ishq mein, haye Tere ishq mein
Badal dhuney mausam bune sadiya gini lamhe chune
Lamhe chune mausam bune
Kuch garm the kuch gungune
Tere ishq mein
Badal dhune
Mausam bune
Tere ishq mein
Tere ishq mein, haye haye
Tere ishq mein

Tere ishq mein tanhaiyaan, tanhaiyaan tere ishq mein
Hamne bahut behlaiyaan, tanhaiyaan
Tere ishq mein
Roh se kabhi manwaayeinya
Tanhaiyaan tere ishq mein
Mujhe toh ker koi din gaya
Mujhe chheD ker koi shab gayi
Maine rakh li sari aahatein
Kab ayi thi shab kab gayi
Tere ishq mein kab din gaya shab kab gayi
Tere ishq mein
Tere ishq mein haye haye haye
Tere ishq mein

Raakh se rukhi koyel se kali
Raat kate na hijraan wali
Dil sof ye tha hum chal diye,jahan le chala
Tere ishq mein
Hum chal diye
Tere ishq mein
Haye tere ishq mein
Main asmaan main hi zameen
Gili zameen seeli zameen
Jab lab jale pi li zameen
Gili zameen tere ishq mein
Haye tere ishq mein